महाभारत में अपने पिता परीक्षित की सर्पदंश से मृत्यु पर उनके पुत्र जनमेजय द्वारा सर्पों के महाविनाश का जिक्र है। एक ऐसी ही ह्रदय विदारक घ...
महाभारत में अपने पिता परीक्षित की सर्पदंश से मृत्यु पर उनके पुत्र जनमेजय द्वारा सर्पों के महाविनाश का जिक्र है। एक ऐसी ही ह्रदय विदारक घटना सोनभद्र जनपद में घटी। कल हिंदुस्तान अख़बार के मित्र सुजीत शुक्ल ने मुझे फोन पर सूचना दी कि सोनभद्र के छत्तीसगढ़ से सटे विकासखण्ड बभनी के असनहर गाँव में कुछ लोगों ने एक बड़े से सांप को मार डाला है और साथ में उसके पेट से निकले 30-32 बच्चों को भी। उन्होंने इस पर मेरी टिप्पणी चाही और मैंने फोन पर ही उन्हें बता डाला कि सांप अंडे देते हैं, बच्चे नहीं जनते।
बिना तथ्यों की पूर्ण जानकारी के कोई निर्णय करना कितना अनुत्तरदायित्वपूर्ण हो सकता है इसकी बड़ी ग्लानि मुझे तब हुयी जब सुजीत शुक्ल जी ने व्हाट्सप्प पर मुझे तस्वीर भेजी। ओह, मैंने तो ब्लंडर कर दिया था। अरे, यह तो रसेल वाइपर (Russell Viper) है, भारत के सबसे खतरनाक 4 साँपों में से एक, जिसका विष रक्त को जमा देता है और यह सीधे बच्चे देती है-एक बार में 30 से 40 तक। और हाँ इस सांप के सोनभद्र में पाये जाने की यह पहली ऑथेंटिक रिपोर्ट है। मादा बिचारी प्रसव के दौरान की निष्क्रियता में समस्त वंशजों के साथ मारी गयी।
भारत के चार बड़े विषैले सांप (बिग फोर) हैं- कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सा स्केलड वाइपर।
दरअसल रसेल वाइपर सबसे अधिक पंजाब में मिलता है। गांगेय क्षेत्र में यह दुर्लभ है। इसलिए शुरू में इसके यहाँ सोनभद्र मिलने पर ध्यान ही नहीं गया। सोनभद्र में इसे जाड़ा सांप कहते हैं। अन्य नाम दबोया (Daboia) या घोणस (Ghonas) है। रसेल नाम इस पर वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक रसेल के नाम पर पड़ा है। वैसे तो स्वभाव से शर्मीला है, मगर छेड़े जाने पर काटता है। विष खून को थक्कों में बदल देता है-हीमोटाक्सिक है।
सांप को देखते देखते ही यहाँ पहली प्रतिक्रिया उसे मार डालने की होती है। ऐसा लोगों में जीव जंतुओं खासकर सर्पों के बारे में व्याप्त व्यापक अज्ञान के कारण है। रसेल वाइपर वन्य जीव अधिनियम 1982 के अनुसार अबध्य है। मगर ग्रामीणों को इससे क्या? वे तो एक मादा और उसकी संतति विनाश के उल्लास में दुबे अपनी शौर्य गाथा सभी को सुना रहे हैं। मगर उन्हें यह तक पता नहीं कि यह सांप कौन सा है।
बभनी सोनभद्र क्षेत्र में इस सांप मिलना इस विषय के अध्येताओं के लिए एक बड़ी खबर है और स्वास्थ्य विभाग को भी चौकस रहने की चेतावनी-ताकि इसके दंश से पीड़ितों का समुचित इलाज हो सके।
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