अक्सर अखबारों में यह समाचार छपता है कि जहरीले जंतु के काटने से मौत. और जानकारी मिलती है कि किसी 'बितनुआ' (विषखोपडा) नाम के जं...
अक्सर अखबारों में यह समाचार छपता है कि जहरीले जंतु के काटने से मौत. और जानकारी मिलती है कि किसी 'बितनुआ' (विषखोपडा) नाम के जंतु के काटने से मौत हुयी है. ऐसे में पाठकों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर यह बितनुआ क्या है ?
दरअसल बितनुआ कोई अन्य जीव जंतु न होकर मगरगोह का छोटा बच्चा ही होता है. गावों में अभी भी मगरगोह (बड़ी छिपकली जाति) और उसके बच्चे को अलग रूप रंग के चलते दो विभिन्न प्रजाति के प्राणी होने का दर्जा मिला है जो कि गलत है. मगरगोह तो अभी हाल तक पूरी तरह विषहीन जानवर माना जाता रहा है किन्तु हालिया खोजों में इसके लार में विष होने की पुष्टि हुयी है.
भारतीय गोह (साभार विकिपीडिया) |
हमारे यहाँ बहुत कामन प्रजाति मगरगोह (Monitor Lizard) की है. तय है कि यह भी पूरी तरह विषहीन नहीं है। मगर यह भी सही है कि इनके लार में पाया गया विष मनुष्य को मारने में नाकाफी है. तब इसके बच्चे यानि 'बितनुआ' में तो और भी कम विष होगा. यद्यपि इनसे मनुष्य की जान तो नहीं जा सकती मगर अब ये पूरी तरह निरापद नहीं कहे जा सकते.
गोह का का बच्चा, जिसे गावों में बितनुआ कहते हैं! |
अब अगली बार आपका सामना मगर गोह या उसके बच्चे "बितनुआ" (बीते भर का) से हो जाय तो थोड़ी सावधानी अपेक्षित है. इसलिए कि उसके काटने से उसकी लार का जहर आप पर आंशिक प्रभाव डाल सकता है और घाव भी जहर के चलते बुरी दशा में जा सकता है.
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