यह सचमुच एक सुखद आश्चर्य है कि अभी तक उत्तर प्रदेश से सर्पदंश का कोई समाचार मुझे सुनायी दिखाई नहीं दिया है ...जबकि पिछले वर्षों जून माह...
यह सचमुच एक सुखद आश्चर्य है कि अभी तक उत्तर प्रदेश से सर्पदंश का कोई समाचार मुझे सुनायी दिखाई नहीं दिया है ...जबकि पिछले वर्षों जून माह आया नहीं कि सर्पदंश की खबरें अखबारों की सुर्खियाँ बनने लगती थी. मगर अब तो जुलाई माह भी आ गया है जो कई विषहीन सापों के साथ ही कोबरा और करइत जैसे विषैले साँप का प्रजनन काल है -उनका जोड़ा बनाने का समय है .जाहिर है यह समय सापों की सबसे अधिक गतिविधि का समय है ...और इस समय सबसे अधिक सावधानी भी अपेक्षित है ..इस समय फन वाला कोबरा/नाग बहुत आक्रामक भी हो जाता है ...और अगर कोई बार बार इनके वास स्थल/प्रणय स्थल से गुजरता है तो उसे ये खदेड़ कर भी काट सकते हैं ..
सांप सामने आ जाने पर क्या करें?
अगर कोबरा खदेड़ ले या आपके रास्ते के ठीक सामने फन काढ़े खड़ा हो जाय तब? बहुतों की घिग्घी बध ही जायेगी. ऐसे हालात में आप जरा बुद्धि चातुर्य दिखाएँ- पास में कोई भी कपडा, गमछा आदि हो तो उसे साँप पर फेक कर चलता बनें ...और कुछ न हो तो रूमाल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अपनी ओर आते वस्त्र से यह उलझ जाएगा और इस बीच आपको भाग लेने का मौका मिल जाएगा ...रुमाल बहुत छोटी है तो शर्ट भी फुर्ती से निकाल कर उस पर फेक सकते हैं.
पिछली गर्मी में एक वाकया हुआ ..मेरे एक परिजन ने बताया कि मनरेगा के अधीन जब वे गाँव की परिधि पर मजदूरों से नाली खुदवा रहे थे तो कोबरा महराज प्रगट हो गए ...और वे वहां से भागना चाहे तो कोबरा ठीक उनका रास्ता रोककर खड़ा हो गया ..मानो दो चार हाथ कर लेने पर आमादा हो ...उनके तो होश फाख्ता. फिर उन्होंने मेरी पहले ही बताई गयी ट्रिक अपनाई- जेब से अपना रूमाल निकाल कर लहराकर उसकी ओर फेका ...कोबरा उससे उलझा गया और वे तब तक किनारे से भाग लिए ....
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कोबरा की पहचान:
कोबरा की कुछ किस्में हैं जिनके पहचान के लक्षण अलग अलग हैं -एक के फन पर चश्मे का दो निशान होता है तो एक पर केवल एक और एक पर कोई निशान नहीं ..पर्यावरण के हिसाब से वे बिलकुल काले और भूरे हो सकते हैं और एक लगभग अल्बिनो किस्म है जो गेहूं के रंग की होती है जिसे पूर्वांचल में गेहुँअन बोलते हैं. कोबरा और दूसरे सापों की देखने की क्षमता होती है ...इसीलिये तो सापों को संस्कृत में चक्षुश्रवा कहा गया है मतलब आँख से ही देखने सुनने दोनों का काम, क्योंकि साँप को तो कान होते ही नहीं.
अगर आप ग्राम्य वासी हैं या व्याह शादी या किसी और भी सामाजिक कार्य से मुल्क /गाँव जा रहे हैं तो इस माह ख़ास तौर पर कोबरा से सावधान रहें -बचाव हमेशा इलाज से बेहतर है न ....कोबरा या नाग या किसी भी सांप से जुड़े किसी भी प्रश्न का हम सहर्ष उत्तर देगें ..यह ब्लॉग साँपों से जुड़े प्रश्नों के उत्तर के लिए ही बनाया गया है ....साँपों से प्रत्येक वर्ष भारत में 30 हजार लोगों की अकाल और बहुत ही दर्दनाक मृत्य हो जाती है ....आप और हम मिलकर इस संख्या में कमी ला सकते हैं.
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