भारत में प्रतिवर्ष करीब 2 लाख सर्प दंश के मामले सामने आते हैं। सर्पदंश के मामलों में 66 प्रतिशत पुरूष व 34 प्रतिशत महिलाएं दंशित होते ...
भारत में प्रतिवर्ष करीब 2 लाख सर्प दंश के मामले सामने आते हैं। सर्पदंश के मामलों में 66 प्रतिशत पुरूष व 34 प्रतिशत महिलाएं दंशित होते है, क्योंकि पुरुष बाहर काम पर जाते हैं व शिकार बन जाते है। सर्पदंश के मामलों के अध्ययन में यह भी पाया गया है शरीर के खुले हिस्से में दंश अधिकांश होता है। 73 प्रतिशत मामलों में पैरों मे, 25 प्रतिशत हाथ व 02 प्रतिशत सिर में दंश होता है।
अंधविश्वास की कुंडलियों में लिपटा है सांप
-डा.दिनेश मिश्र
सर्प एक ऐसा प्राणी है जो सदियों से मानव मात्र के लिये उत्सुकता व भय का केन्द्र रहा है।जहां एक ओर सर्प बहुत अधिक आर्थिक महत्व के हैं वहीं सर्पदंश से होने वाली मौतों की बड़ी संख्या के चलते आम आदमी के मन में अनजाना सा भय समाया रहता है। सर्प के संबंध में बहुत सी किवदंतियां व अंधविश्वासजुड़े हुए हैं जो वर्षो से सुनाये जा रहे हैं। बरसात के आरंभ से ही सर्पदंश के मामले सामने आते हैं जिसमें से बहुतायत की मृत्यु सही समय पर सही उपचार न होने के कारण हो जाती है क्योंकि सर्प दंश के उपचार के संबंध में अभी भी काफी भ्रामक मान्यताएं है। इसलिए ग्रामीण अंचल में जनता झाड़-फूंक व तंत्र मंत्र पर भरोसा करती है। जबकि सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति को जितनी जल्दी अस्पताल पहुंचाया जाय उसके स्वस्थ होने की संभावना उतनी अधिक रहती है जबकि झाड़ फूंक, मंत्र के फेर में जितनी देर की जायेगी, मरीज की हालत उतनी खराब होती जाती है।
भारत में प्रतिवर्ष करीब 2 लाख सर्प दंश के मामले सामने आते हैं। सर्पदंश के प्रकरण ग्रामीण अंचल, खेतों, बाड़ियाँ, जगल में अपेक्षाकृत अधिक होते है। शहरी क्षेत्रों मे सर्प बहुत कम मिलते है इसलिए सर्पदंश के मामले भी कम होते है। सर्पदंश के मामलों में ६६ प्रतिशत पुरूष व ३४ प्रतिशत महिलाएं दंशित होते है, क्योंकि पुरुष बाहर काम पर जाते हैं व शिकार बन जाते है। सर्पदंश के मामलों के अध्ययन में यह भी पाया गया है शरीर के खुले हिस्से में दंश अधिकांश होता है। 73 प्रतिशत मामलों में पैरों मे, 25 प्रतिशत हाथ व 2 प्रतिशत सिर में दंश होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग जमीन पर सोते हैं उन स्थानों में सर्पदंश के मामले ज्यादा होते हैं खाट में सोने से सर्प दंश से लोग बच सकते है। हालांकि कभी कभी कुछ सांप खाट पर भी चढ़ जाते हैं ..
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सांपों से संबंधित कपोल कल्पनाएं: snake in mythology, snake mythology in india,
सर्प के संबंध में अभी बहुत सी काल्पनिक मान्यताएं हैं जैसे कुछ लोग इच्छाधारी सर्प का अस्तित्व मानते हैं जबकि प्राणीशात्रियों ने ऐसी किसी बात से इंकार किया है। कोई भी प्राणी सर्प से मनुष्य, मनुष्य से सर्प या अन्य किसी भी प्राणी में इच्छानुसार नहीं बदल सकता है। यह धारणा एक अंधविश्वास ही है कि सांप युवती में बदल गया या युवक में बदल गया। सांप के मंत्र पढ़कर बुलाने, बीन बजाकर दूर से बुलाने की बात भी उसी प्रकार अवैज्ञानिक है क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार सर्प के कान व श्रवणेन्द्रियां नहीं होती है। वह मंत्र, बीन की आवाज नहीं सुन सकता। वह कंपन, स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है, इसलिए सपेरा उसे बीन सुनाने के पहले झपकी मार कर, हिलाकर उसे बाहर निकालता है तथा बीन के घुमाने से सांप प्रतिरक्षात्मक व्यवहार में सिर हिलाता है।
सर्प के संबंध में अभी बहुत सी काल्पनिक मान्यताएं हैं जैसे कुछ लोग इच्छाधारी सर्प का अस्तित्व मानते हैं जबकि प्राणीशात्रियों ने ऐसी किसी बात से इंकार किया है। कोई भी प्राणी सर्प से मनुष्य, मनुष्य से सर्प या अन्य किसी भी प्राणी में इच्छानुसार नहीं बदल सकता है। यह धारणा एक अंधविश्वास ही है कि सांप युवती में बदल गया या युवक में बदल गया। सांप के मंत्र पढ़कर बुलाने, बीन बजाकर दूर से बुलाने की बात भी उसी प्रकार अवैज्ञानिक है क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार सर्प के कान व श्रवणेन्द्रियां नहीं होती है। वह मंत्र, बीन की आवाज नहीं सुन सकता। वह कंपन, स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है, इसलिए सपेरा उसे बीन सुनाने के पहले झपकी मार कर, हिलाकर उसे बाहर निकालता है तथा बीन के घुमाने से सांप प्रतिरक्षात्मक व्यवहार में सिर हिलाता है।
सर्पदंश और झाड़फूंक:snake god mantra, snake poison mantra, snake bite cure mantra, snake catch mantra
सर्पदंश के मामलों में कुछ बैगा-ओझा, मृत व्यक्ति को तंत्र मंत्र के सहारे पुर्नजीवित करने के प्रयास के मामले भी राजनांदगांव, बिलासपुर, तिल्दासहित अनेक स्थानों से आये जिसमें लाश जगाने के लिए बैगा ने तंत्र-मंत्र से पुर्नजीवित करने असफल प्रयास किया। भिलाई में सर्पदंश से पीड़ित मोहन को उसके गुरू ने झाड़ फूंक से ठीक करने का प्रयास किया, भोपाल में सर्प का खेल दिखाने वाली इमराना सहित सैकड़ों व्यक्ति समय पर उचित इलाज न मिलने से दंश के कारण मौत के मुँह में चले गये। विष के प्रभाव से यदि तंत्रिकातंत्र, मांसपेशियां, हृदय श्वसन की गतिविधियां रूक जाएं, तो कोई भी तंत्र-मंत्र या अंधविश्वास मृतक के प्राण वापस नहीं ला सकता इसलिए समय रहते उचित चिकित्सा करवाना ही सर्प दंश का एकमात्र उपचार है। बचते वे हैं जिन्हें विषहीन सर्प जैसे धामिन आदि काटते हैं !
अगली कड़ी में पढ़ें- सर्प विष कैसे काम करता है?
(लेखक डा. दिनेश मिश्र छत्तीसगढ़ के जाने माने नेत्र विशेषज्ञ हैं और अंधविश्वास के खिलाफ लम्बे समय से अलख जगा रहे हैं।)
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