बरसात के दिनों में अक्सर ही समाचार पत्रों में यह पढ़ने को मिलता है कि फलाँ गाँव में साँप के काटने से अमुक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। इस मृ...
बरसात के दिनों में अक्सर ही समाचार पत्रों में यह पढ़ने को मिलता है कि फलाँ गाँव में साँप के काटने से अमुक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। इस मृत्यु के पीछे मुख्य रूप से लोगों का अज्ञान ही जिम्मेदार होता है क्योंकि लोगों को यह जानकारी होती ही नहीं हैकि साँप के काटने पर क्या करना चाहिए। यही कारण है वे ऐसी दशा में वे तमाम क्रियाएँ करने लगते हैं, जिससे रोगी के शरीर में ज़हर तेजी से फैलने लगता है और अंत में उचित इलाज न मिलने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है।
साँप काटने पर पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले सीधा लिटा देना चाहिए और उसे ढ़ाढ़स बंधाना चाहिए, जिससे वह शान्त रह सके। इसी बीच पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसमें एक क्षण का भी विलम्ब पीड़ित व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है।
साँप काटने पर पीड़ित व्यक्ति को किसी ओझा, तांत्रिक अथवा सिद्ध बाबा के पास कदापि नहीं ले जाना चाहिए और न ही उसका उपचार किसी जड़ी आदि से करवाने के चक्कर में पड़ें। याद रखें कि साँप के ज़हर का एकमात्र उचार एन्टीवेनम ही है।
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यदि पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की व्यवस्था में कुछ विलम्ब हो तो सबसे पहले काटे गये स्थान पर साँप के निशान देखने की कोशिश करें। आमतौर पर विषदंत के दो गहरे निशान पीड़ित के शरीर पर पाए जाते हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ उसके आसपास कई छोटे और हल्के निशान भी हो सकते हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी आप यहाँ पर भी देख सकते हैं।
यदि विषदन्त के निशान बहुत हल्के और छोटे हों तथा उन्हें देखने पर उल्टे यू अक्षर का बोध होता हो, तो वह निशान किसी विषहीन साँप के हो सकते हैं। लेकिन इसका आकलन कोई विशेषज्ञ ही कर सकता है। इस तरह के निशान के आधार पर आप कोई बड़ा निर्णय न लें।
यदि पीड़ित को अस्पताल ले जाने में विलम्ब हो तो सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति के शरीर से जूते, अंगूठी, कड़ा, कंगन, पायल आदि चीजें उतार देना चाहिए। क्योंकि जहर के फैलने पर हाथ-पैरों में सूजन हो सकती है। ऐसे में इन वस्तुओं के कारण शरीर के उस हिस्से का रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है।
सांप के काटे गये स्थान को साफ कर दें और यदि काटा गया भाग हाथ या पैर है तो लकड़ी की खपच्चियों के सहारे उसको सीधा करके बांध दें। ऐसा करने पर पीड़ित व्यक्ति उस अंग को बार-बार मोड़ नहीं सकेगा और शरीर में विष तेजी से नहीं फैल सकेगा।
यदि पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो गया है, तो थोड़े-थोड़े समय पर उसकी साँस देखते रहें और उसे उसे गर्म रखने का प्रयत्न करें।
यदि पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो गया है, तो थोड़े-थोड़े समय पर उसकी साँस देखते रहें और उसे उसे गर्म रखने का प्रयत्न करें।
साँप काटने पर क्या न करें?
साँप के काटने पर झाड़-फूँक और जड़ी-बूटी आदि के द्वारा इलाज के चक्कर में समय न गंवाएँ। क्योंकि सर्पदंश के मामले में एक क्षण की भी देरी पीड़ित के लिए मौत का सबब बन सकती है।
साँप के काटे गये स्थान पर ब्लेड/चाकू से काट कर घाव को खोलने की कोशिश न करें और न ही मुँह से चूसकर ज़हर निकालने का प्रयत्न न करें। ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है।
साँप द्वारा काटे गये स्थान के आसपास बहुत कस कर पट्टी न बाँधें और न ही पीड़ित व्यक्ति को चाय, कॉफी अथवा मदिरा आदि को पिलाने का प्रयत्न करें।
किसी व्यक्ति को साँप काटने पर काटने वाले साँप की खोजबीन करके उसे पकड़ने की कोशिश कत्तई न करें, इससे साँप भड़क सकता है और वह अन्य लोगों को भी अपना शिकार बना सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को दर्द से तड़पता देखकर उसे अपने मन से कोई दवा विशेष एस्प्रिन वगैरह कदापि न दें न ही कोई दादी-नानी का नुस्खा उसपर आजमाएँ।
यदि आप उपरोक्त सावधानियों को ध्यान में रखें और यथासमय पीड़ित को अस्पताल पहुँचाकर एन्टीवेनम दिलवा सकें, तो बहुत सम्भव है कि साँप के ज़हर के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके और पीड़ित की जान बचाई जा सके।
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