सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे देश के अनेक हिस्सों में नागपंचमी मनाई जाती है -आज नागपंचमी है. भारत में नागों की पूजा एक बहुत प्राच...
सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे देश के अनेक हिस्सों में नागपंचमी मनाई जाती है -आज नागपंचमी है. भारत में नागों की पूजा एक बहुत प्राचीन सांस्कृतिक अनुष्ठान की याद दिलाती है ..कहते हैं परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने एक विशाल नाग विध्वंश यज्ञ किया था ...क्योकि उनके पिता परीक्षित की मृत्य एक नाग के डसने से ही हुयी थी.
सर्प या नाग हमारी संस्कृति में रचे बसे हैं -शिव का सारा शरीर नागों से आवेष्टित है, विष्णु शेषनाग पर सोये हैं ..कृष्ण कालिया नाग का मर्दन करते हैं ...यह सब इसलिए कि सदियों से सर्प दंश एक बड़े भय के रूप में भारतीय मनीषा को डराता रहा है -तो सर्प पूजा का यह व्यापक स्वरुप हमारे सर्प भय से ही उत्पन्न हुआ लगता है.
आकंडे बताते हैं कि भारत में किसी भी हिंसक जीव जंतु की तुलना में सर्प दंश से ज्यादा लोग मर जाते हैं -यह संख्या आज भी करीब तीस हजार के आस पास है ....जबकि आज सर्प दंश का शर्तिया इलाज एंटीवेनम के रूप में मौजूद है और सरकारों की सख्ती है कि इन दिनों जबकि सापों का प्रणय काल चल रहा है और आये दिनों सर्प दंश की दर्दनाक खबरे अखबारों की सुर्खियाँ बन रही हैं, एंटी वेनम अनिवार्य रूप से प्राथमिक चिकित्सालयों पर रखा जाय!
मगर केवल प्राथमिक चिकित्सालयों पर एंटीवेनम इंजेक्शन की मौजूदगी से काम नहीं बनाने वाला है -चिकित्सकों को सर्प दंश के मामलों से कैसे तुरत फुरत पेश आयें यह प्रशिक्षण भी देना जरुरी है -अधिकाँश डाक्टर सर्प दंश चिकित्सा प्रबन्ध /प्रोटोकाल से पूरी तरह दक्ष नहीं है -मगर दुर्भाग्य से इस ओर सरकारों या स्वयं सेवी संस्थाओं का अपेक्षित ध्यान नहीं गया है -नतीजा है हर वर्ष हजारों ह्रदय विदारक मौतें जिन्हें जिन्दगी बख्शी जा सकती थी ..कई बार तो गर्भवती महिलाओं को सर्प दंश का शिकार होना पड़ता है क्योकि घर के अंदरूनी स्थानों -स्टोर /भण्डार तक उन्ही का आना जाना होता है -उनकी मौत का मतलब तो जिंदगियों का सफाया -एक अजन्में शिशु की भी मौत ! ये दृश्य बहुत विचलित करने वाले होते हैं ...
आज जरुरी है सरकारें और एन जी ओ भी विशेषज्ञों की मदद से ऐसे कार्यक्रम सभी ब्लाकों और ग्राम पंचायतों पर आयोजित करें जिसमें लोगों को सर्प दंश के समय क्या करें और क्या न करें इनकी जानकारी दी जा सके और साथ ही प्रदेश की सरकारें स्वास्थ्य मिशन के अधीन कम से कम ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सकों को सर्पदंश प्रबन्ध की समुचित जानकारी के लिए अभियान चलाये ....हम यह लक्ष्य रखें -सर्पदंश म्रत्यु से शत प्रतिशत छुटकारा ...
नागपंचमी की शुभकामनाओं के साथ यह संदेश:
01- सभी सांप विषैले नहीं होते मगर हर सर्प दंश के मामले को योग्य चिकित्सक-प्राथमिक चिकित्सालय या जिला अस्पताल को तुरंत रवाना करें।
02- समय की देरी पेशेंट की जान ले लेती है अतः झाड़ने फूंकने वालों के पास समय बर्बाद न करें। अगर विषैले सर्प जैसे कोबरा और करैत ने काटा है तो झाड फूंक काम नहीं आने वाली ....बिना एंटीवेनम दिए ऐसा पेशेंट 4-6 घंटों के बीच मर जाएगा, इस बात को गाँठ बाँध लें!
03- ग्रामीण क्षेत्रों में जुलाई से सितम्बर तक सर्प दंश का खतरा रहता है इसलिए विशेष सावधानी बरतिए। अँधेरे स्थानों पर बिना टार्च लिए न जाएं। ऐसा जूता पहनें जो पैर को थोडा ऊपर तक कवर करता हो ....अब गम बूट तो सभी लोग नहीं रख पायेगें मगर पैर को पूरी तरह कवर करने वाला जूता, स्लीपर हो!
04- ग्राम पंचायतों में भी एंटी वेनम रखा जा सकता है, रेफ्रिजेरेशन के बिना भी दो तीन महीनों तक यह प्रभावी रह सकता है। लायफ़ोलायिज्द एंटीवेनम सामान्य तापक्रम पर भी ठीक पाया गया है। यदि एक आरम्भिक इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन किसी स्थानीय चिकित्सक से लगवा कर प्रस्थान करें तो थोडा बहुत विलम्ब होने पर भी जान बच सकती है...
ब्लॉगर बंधु कृपया इन बातों का अपने क्षेत्र में भी व्यापक प्रचार प्रसार करें! सर्प दंश के रोगी को बचाने की दिशा में योगदान दें!
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