मोहनलालगंज, लखनऊ से एक पाठक वीरेश ने ईमेल से पूछा है- सांपों के बारे में आपकी वेबसाइट देखकर अच्छा लगा। इससे ढ़ेर सारी जानकारी मिल...
भारत में मध्य प्रदेश तथा उत्त्ारी पूर्वी सीमा के कुछ आदिवासी कबीले सांपों को भोजन के रूप में उपयोग में लाते हैं। अनेक पूर्वी देशों में सांपों का विष तथा उसका मांस कई प्रकार के रोगों में भी प्रयुक्त होता है। कई देशों में लोग सांपों का भोजन चाव से करते हैं। बर्मा इसका एक अच्छा उदाहरण है। इसके अलावा अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों में भी अजगर का मांस भोजन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। यही नहीं पिछले विश्व युद्ध के समय में भी सैनिकों को अजगर का सूप दिये जाने के प्रमाण मिलते हैं।
[post_ads]
हमें यह पता है कि पूरे विश्व में लगभग ढाई हजार प्रकार के सांप पाए जाते हैं। इनमें से लगभग 216 प्रजाति के सांप भारत में पाए जाते हैं। भारत में पाई जाने वाली इन 216 प्रजातियों में सिर्फ 52 प्रजातियां ही विषैली होती हैं। इन विषैले सांपों के विष का उपयोग दवाओं के रूप में किया जाता है। भारत में होपकिंस संस्थान, मुंबई में सांपों के विष को निकाला जाता है और इसके उपयोग के लिए बाजार में भेजा जाता है। माना जाता है कि एक ग्राम विष की कीमत लगभग 5000.00 रूपये होती है। जबकि केंद्रीय अनुसंधान
संस्थान, कसौली में सांप के विष से एंटीवेनम का निर्माण किया जाता है, जोकि सांप के विष का एकमात्र प्रामाणिक इलाज है।
इसके अतिरिक्त सांप के विष को मुख्य रूप से दर्द निवारक तथा मांसपेशियों के रोगों में उपयोग में लाया जाता है। ‘कोबरा' नामक सांप का विष नर्वस सिस्टम से जुड़े रोगों के निवारण हेतु उपयोग में लाया जाता है। इसी प्राकर सिरदर्द, कुष्ठ रोगों तथा कुछ विशेष प्रकार के कैंसर रोगों में भी सांप के विष को उपयोगी पाया गया है।
सांप के विष से कई प्रकार के एंजाइम भी बनाए
जाते हैं। 'कोबरा' सांप के विष से न्यूरोटोक्सिन नामक एंजाइम निकाला जाता है, जो श्वास से संबंधित रोगों के शोध-कार्य में बहुत उपयोगी होता है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार के जैव रासायनिक शोध-कार्यों हेतु भी सांप के विष
से एंजाइम निकाले जाते हैं।
होम्योपैथी पद्धति में अनेक रोगों जैसे मिर्गी, साइटिका एवं नर्वस सिस्टम से जुड़े रोगों में सांपों का विष प्रयोग में लाया जाता है। इनमें ‘रसेल वाइपर' नामक सांप का विष विशेष उपयोगी पाया गया है। होम्योपैथी की ही भांति आयुर्वेद चिकित्सा में भी अनेक प्रकार से उपयोग में लाया जाता है, जिसमें कोबरा नामक सांप का विष विशेष रूप से उपयोगी पाया गया है।
सांपों के विष के अतिरिक्त उसके शरीर के विभिन्न भाग भी आयुर्वेद की दवाओं में उपयोग में लाए जाते हैं, जिनमें वसा तथा तेल प्रमुख हैं। सांपों का तेल शरीर की सूजन तथा
कंपकंपी को कम करने के लिए काम में लाया जाता है। इस दृष्टि से ‘रेटल' साँप का तेल काफी उपयोगी पाया गया है।
विदेशों में सांपों की त्वचा की भारी मांग रहती है। इससे बेल्ट, जूते, हैंडबैग, स्कार्फ आदि बनाए जाते हैं। इसके साथ ही साथ सांपों की त्वचा को स्पोट्र्स जैकेट, टोपी और नेकटाई बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। कुछ जगहों पर इनसे लैंप शेड, किताबों
के कवर, कंघे के कवर भी बनाए जाते हैं, जिनकी विदेशों में भारी मांग रहती है। यही नहीं अब तो सांपों के द्वारा छोड़ी जाने वाली केंचुल का भी दवा के रूप में प्रयोग होने लगा है।
इससे स्पष्ट है कि सांप मानव जाति के लिए बेहद उपयोगी है। यही कारण है कि अब इनके संरक्षण की मांग उठने लगी है। लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब लोगों को इनके बारे में पर्याप्त जानकारी हो। तभी हम सांपों से अनावश्यक रूप से भय नहीं खाएंगे और उनकी उपयोगिता को दृष्टिगत रखते हुए उनके संरक्षण पर बल देंगे।
'सर्प संसार' इस दिशा में हमारा एक छोटा सा प्रयास है।
COMMENTS