दरभंगा, बिहार से सुमित सक्सेना ने मेल के द्वारा पूछा है- कृपया यह बताने की कृपा करें कि एंटीवेनम का उत्पादन किस प्रकार से किया जाता...
दरभंगा, बिहार से सुमित सक्सेना ने मेल के द्वारा पूछा है- कृपया यह बताने की कृपा करें कि एंटीवेनम का उत्पादन किस प्रकार से किया जाता है।
स्नेक एंटीवेनम के उत्पादन के लिए सर्वप्रथम सांपों के ज़हर को निकाला जाता है। (सांपों के ज़हर को निकालने की विधि जानने के लिए यहां पर क्लिक करें)
ज़हर को निकालने के बाद उसे मानइस 20 डिग्री सेल्सियस पर जमा दिया जाता है। उसके बाद वेनम से पानी को निकाल कर अलग कर दिया जाता है। इससे सांप का वेनम सूख कर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है और उसे स्टोर करने और आवश्यकतानुसार इधर से उधर ले जाने में सुविधा होती है।
एंटीवेनम के निर्माण के लिए इसके बाद इम्यूनाइजेशन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है, जिसमें उचित जानवर का चुनाव करके उसके शरीर में सूक्ष्म मात्रा में ज़हर का प्रवेश कराया जाता है। इस क्रिया के लिए घोड़े को सबसे उचित माना गया है। हालांकि कभी-कभी बकरी और भेड़ भी इस कार्य के लिए उसयोग में लाई जाती हैं, लेकिन सर्वाधिक उपयोग घोडों का ही किया जाता है।
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इम्यूनाइजेशन क्रिया को प्रारम्भ करने के पहले वेनम में डिस्टिल्ड वाटर और कुछ अडजुवन्ट केमिकल को मिला दिया जाता है। इससे उस जानवर का इम्यून सिस्टम बेहद सक्रिय हो जाता है और तेजी से एंटीबॉडीस का निर्माण करने लगता है।
तैयार वेनम के घोल की बेहद सूक्ष्म मात्रा (एक या दो मिलीलीटर) को घोडे के रम्प (rump) अथवा गर्दन के पिछले हस्से पर इंजेक्शन के जरिए उसकी त्वचा में प्रवेश करा दिया जाता है और उसे सघन चिकित्सीय परीक्षण में रखा जाता है।
लगभग 8 से 10 सप्ताह में घोड़े रक्त में भरपूर मात्रा में एंटीबॉडीस का निर्माण हो जाता है। ऐसी अवस्था में घोड़े का रक्त निकाल कर उसे प्रयोगशाला में संवर्धित करके उसमें से एंटीबॉडीड को पृथक कर लिया जाता है और उससे एंटीवेनम इंजेक्शन का निर्माण किया जाता है। यह इंजेक्शन शुष्क रूप में होते हैं, जिन्हें फ्रिज में बेहद निम्न तापमान पर रखा जाता है और आवश्यकता पडने पर saline solution मिलाकर उपयोग में लाया जाता है।
एंटीवेनम निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाता वीडियो देखें:
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