कहते हैं सांप काटते नहीं लोग कटा बैठते हैं और यह सच है. अन्य बहुतेरे जीवों की तरह सांप भी डरपोक प्राणी है, हाँ अपने प्रजनन काल में नाग...
कहते हैं सांप काटते नहीं लोग कटा बैठते हैं और यह सच है. अन्य बहुतेरे जीवों की तरह सांप भी डरपोक प्राणी है, हाँ अपने प्रजनन काल में नाग - कोबरा आक्रामक हो जाता है जैसा कि कई दूसरे जीव भी ऐसा ही आचरण करते हैं. कल नागपंचमी है- यह त्यौहार नागों-सर्पों के भय से ही उपजा एक त्यौहार है, क्योकि लोकजीवन में सापों से हमेशा दहशत व्याप्त रही है. जहरीले सापों के दंश से अक्सर लोगों की मृत्यु होती रही है. क्योंकि इसका लम्बे समय तक कोई शर्तिया इलाज नहीं था -जैसा कि अब एंटी वेनम है, जो सर्प दंश की एकमात्र भरोसेमंद काट है, इलाज है!
भारतीय साहित्य और सांप:
जन्मेजय का नाग यज्ञ सापों के प्रति असहाय मानवीय प्रतिशोध का पुरा आख्यान है. पुराणों में वर्णन है कि जन्मेजय ने जब नाग /सर्प वंश के समूल नाश के लिए अपना यज्ञ शुरू किया तो एक डुन्डिभी नामक नाग ने आकर प्राण रक्षा की गुहार लगाई थी. उसने कहा था "अन्य ते भुजगा ब्रह्मण ये दंशन्तीह मानवान-अर्थात हे राजन जो साँप मनुष्य को काटते है वे दूसरे होते हैं और बहुत से साँपों की वंश रक्षा हो गयी थी. मगर सांप तो डसते ही हैं, कोई अपना स्वभाव नहीं छोड़ता भले ही मनुष्य द्वारा पीड़ित होने पर...
नागपंचमी के मामले में एक और कथा प्रचलित है जिसमें एक ब्राह्मण ने नाग के सपोलों को अनजाने में हत्या कर दी थी -क्रोधित नागिन ने उसके पूरे परिवार और उसकी बेटी के सभी ससुराल वालों को कट कर उन्हें मौत की नीद सुला दिया था जबकि ब्राह्मण कन्या सांपों की बड़ी पुजारी थी -बाद में ब्राह्मण कन्या की विनती पर नागिन ने सभी को जिला दिया और उसी घटना की याद में नाग पंचमी मनाई जाती रही है...
ऐसी दंतकथाएं यही बताती हैं कि सर्प-भय लोक मानस में गहरे पैठा हुआ है. नाग पंचमी के साथ ही अखाड़ों की लड़ाई, मल्लयुद्ध, महुअर जैसे खेल जिसमें भीड़ में किसी पर जादू या 'मूठ' चला दी जाती है और छोटे गुरु बड़े गुरु की पुकार के साथ दरवाजे दरवाजे नाग दर्शन का कार्यक्रम चलता है.
वन्य जीव अधिनियम के तहत कोबरा-फन वाले सांप को पकड़ना गैरकानूनी है मगर सैकड़ों वर्षों की परम्पराओं के आगे नियम कानून बौने से बन जाते हैं, कारण कि जनता जागरूक नहीं है और वह खुद ही अवैज्ञानिक बातों को बढ़ावा देती है. आप इन बातों को जांच लें और धीरे धीरे लोगों को जागरूक करें जिससे लुप्त हो चले कोबरा प्रजाति की वंश रक्षा हो सके और एक ऐसी नागपंचमी भी आये जब लोग बस केवल नाग-चित्रों से कम चला लें -नाग को जंगलों में ही विचरण को छोड़ दें. आईये इस नाग पंचमी पर हम यही संकल्प लें!
और हां, नागपंचमी पर सांपों को दूध न पिलाएं, क्योंकि दूध सांप का आहार नहीं है, उसे पीकर उसकी मृत्यु हो सकती है। पूरे विवरण के लिए यह अालेख देखें।
भारतीय साहित्य और सांप:
जन्मेजय का नाग यज्ञ सापों के प्रति असहाय मानवीय प्रतिशोध का पुरा आख्यान है. पुराणों में वर्णन है कि जन्मेजय ने जब नाग /सर्प वंश के समूल नाश के लिए अपना यज्ञ शुरू किया तो एक डुन्डिभी नामक नाग ने आकर प्राण रक्षा की गुहार लगाई थी. उसने कहा था "अन्य ते भुजगा ब्रह्मण ये दंशन्तीह मानवान-अर्थात हे राजन जो साँप मनुष्य को काटते है वे दूसरे होते हैं और बहुत से साँपों की वंश रक्षा हो गयी थी. मगर सांप तो डसते ही हैं, कोई अपना स्वभाव नहीं छोड़ता भले ही मनुष्य द्वारा पीड़ित होने पर...
नागपंचमी के मामले में एक और कथा प्रचलित है जिसमें एक ब्राह्मण ने नाग के सपोलों को अनजाने में हत्या कर दी थी -क्रोधित नागिन ने उसके पूरे परिवार और उसकी बेटी के सभी ससुराल वालों को कट कर उन्हें मौत की नीद सुला दिया था जबकि ब्राह्मण कन्या सांपों की बड़ी पुजारी थी -बाद में ब्राह्मण कन्या की विनती पर नागिन ने सभी को जिला दिया और उसी घटना की याद में नाग पंचमी मनाई जाती रही है...
ऐसी दंतकथाएं यही बताती हैं कि सर्प-भय लोक मानस में गहरे पैठा हुआ है. नाग पंचमी के साथ ही अखाड़ों की लड़ाई, मल्लयुद्ध, महुअर जैसे खेल जिसमें भीड़ में किसी पर जादू या 'मूठ' चला दी जाती है और छोटे गुरु बड़े गुरु की पुकार के साथ दरवाजे दरवाजे नाग दर्शन का कार्यक्रम चलता है.
वन्य जीव अधिनियम के तहत कोबरा-फन वाले सांप को पकड़ना गैरकानूनी है मगर सैकड़ों वर्षों की परम्पराओं के आगे नियम कानून बौने से बन जाते हैं, कारण कि जनता जागरूक नहीं है और वह खुद ही अवैज्ञानिक बातों को बढ़ावा देती है. आप इन बातों को जांच लें और धीरे धीरे लोगों को जागरूक करें जिससे लुप्त हो चले कोबरा प्रजाति की वंश रक्षा हो सके और एक ऐसी नागपंचमी भी आये जब लोग बस केवल नाग-चित्रों से कम चला लें -नाग को जंगलों में ही विचरण को छोड़ दें. आईये इस नाग पंचमी पर हम यही संकल्प लें!
और हां, नागपंचमी पर सांपों को दूध न पिलाएं, क्योंकि दूध सांप का आहार नहीं है, उसे पीकर उसकी मृत्यु हो सकती है। पूरे विवरण के लिए यह अालेख देखें।
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